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पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में दुष्कर्म और हत्या की शिकार प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के लिए न्याय की मांग को लेकर शनिवार को एक बार फिर डॉक्टरों ने प्रदर्शन किया। जूनियर डॉक्टरों ने रैली निकाली और सड़क पर उतरे कर पीड़िता के लिए न्याय की मांग की। 

बता दें कि ये रैली आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पतालकी घटना के तीन महीने पूरे होने पर निकाली गई। इस घटना से पूरे राज्य में आक्रोश फैल गया था। इस रैली में उनके मुद्दों से सहानुभूति रखने वाले आम लोगों के एक वर्ग ने भी हिस्सा लिया। 

बता दें कि आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर से दरिंदगी की घटना में कुल 51 गवाह हैं। कोलकाता के सियालदह कोर्ट में सोमवार से इस मामले पर रोजाना सुनवाई शुरू होगी। मालूम हो कि मुख्य आरोपित सिविक वालंटियर संजय राय के खिलाफ आरोप तय हो चुके हैं। 

दूसरी तरफ घटना के तीन महीने पूरे होने पर वेस्ट बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट के बैनर तले जूनियर डॉक्टरों ने शहर के सभी मेडिकल कॉलेजों में मंच स्थापित किए, जिन पर 9 अगस्त को डॉक्टर की हत्या के बाद से तीन महीने से अधिक समय से चल रहे विरोध प्रदर्शनों की तस्वीरें, बैनर और पोस्टर लगाए गए। जुलूस में बड़ी संख्या में आम लोग भी शामिल हुए। आज जूनियर डॉक्टरों ने अपनी विरोध रैली को कॉलेज स्क्वायर से शहर के बीचों-बीच मौजूद एस्प्लेनेड तक निकाली। इस दौरान दरिंदगी की पीड़िता के लिए न्याय की मांग की गई।

उत्तरी केरल के मलप्पुरम जिले में छात्र के गुप्तांगों पर मिर्च पाउडर लगाने के आरोपी एक व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।पुलिस ने बताया कि पड़ोसी मलप्पुरम जिले के तनूर के रहने वाले उमैर अशरफी पर भी छात्र के गुप्तांगों पर मिर्च पाउडर लगाने का आरोप है।

छात्र द्वारा हाल ही में पुलिस में शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद आरोपी राज्य से भाग गया और कर्नाटक तथा तमिलनाडु में विभिन्न स्थानों पर छिपकर रह रहा था।
गुरूवार को एक गुप्त सूचना के आधार पर कि वह तमिलनाडु के कोयंबटूर से अपने गृह जिले में आ रहा है, पुलिस की एक टीम तनूर पहुंची और उसके आने का इंतजार किया। हालांकि अशरफी ने पुलिस को देखकर भागने की कोशिश की, लेकिन बाद में उसे पकड़ लिया गया।

कन्नवम पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत उसके खिलाफ मामला दर्ज किया। पुलिस ने बताया कि अशरफी को यहां एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

एनआईटी राउरकेला में तीन दिवसीय वार्षिक टेक फेस्ट ‘इनोविजन’ का शुभारंभ बीबी ऑडिटोरियम में हुआ, जिसमें प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति, संकाय सदस्य,  कर्मचारी और उत्साहित छात्र उपस्थित थे। स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर (एसएसी) की टेक्निकल सोसायटी द्वारा आयोजित 'इनोविजन' पूर्वी भारत के सबसे प्रमुख तकनीकी उत्सवों में से एक है, जो देशभर से प्रतिभागियों को आकर्षित करता है।

इनोविजन एक तकनीकी महोत्सव है जो विभिन्न कॉलेजों के छात्रों को नवोन्मेषी इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी परियोजनाओं को प्रस्तुत करने और जश्न मनाने का मंच प्रदान करता है, जिससे रचनात्मकता, सहयोग और व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ावा मिलता है। प्रोफेसर कौस्तव चौधरी और प्रोफेसर तिर्थंकर सरकार, जो टेक्निकल सोसायटी के उपाध्यक्ष हैं, ने इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया।

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि श्री राम मोहन मिश्रा (पूर्व निदेशक, योजना, राउरकेला विकास प्राधिकरण) ने नवाचार को प्रोत्साहित करने और तेजी से बदलते डिजिटल युग में एक केंद्रित मानसिकता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। तकनीकी प्रगति पर चर्चा करते हुए, मुख्य अतिथि ने कहा कि “स्मार्टफोन और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म ने संचार को एक नया रूप दिया है, जो विश्व को पहले से कहीं अधिक एकजुट करता है। हम यहां सभी से आग्रह करते हैं कि वे अपने सबसे रचनात्मक विचारों को सामने लाएं और इस मंच का अधिकतम लाभ उठाएं।”

‘टेक्नोवर्स: टेकनोलॉजी की दुनिया का अन्वेषण और भविष्य के परिदृश्य को आकार देना’ थीम पर आधारित, इनोविजन 2024 का उद्देश्य रचनात्मकता को बढ़ावा देना और तकनीकी सीमाओं को आगे बढ़ाना है। उद्घाटन समारोह में इशारों से नियंत्रित ड्रोन शो और एक ह्यूमनॉइड रोबोट प्रदर्शन जैसे रोमांचक प्रदर्शनों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

एनआईटी राउरकेला के निदेशक, प्रो. के. उमामहेश्वर राव ने भी उपस्थित लोगों को संबोधित किया और प्रतिभागियों द्वारा प्रदर्शित नवाचार की भावना की सराहना की। उन्होंने कहा, “इनोविजन केवल तकनीकी प्रदर्शन ही नहीं, बल्कि सहयोग और रचनात्मकता का उत्सव भी है। मैं सभी से आग्रह करता हूं कि वे इस अवसर का लाभ उठाएं, सीखें, जुड़ें, और एक उज्जवल डिजिटल भविष्य के लिए नवाचार करें।”

60 से अधिक कार्यक्रमों के साथ, जिनमें वीआर प्रदर्शनियाँ, ड्रोन डिस्प्ले, रोबो रेस, मेज़ हंट्स, कोड हंट्स, ऑटो शो, अतिथि व्याख्यान, और कला प्रदर्शन शामिल हैं, इनोविजन एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है।

थीम पर विचार करते हुए, स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर के अध्यक्ष प्रोफेसर राजीव कुमार पंडा ने कहा, “इस वर्ष का इनोविजन एक डिजिटल स्वर्ग है जहाँ तकनीक और दूरदृष्टि का संगम होता है। हम पूरे भारत से आए प्रतिभागियों का स्वागत करते हैं कि वे एनआईटी राउरकेला की भावना को अनुभव करें, जहाँ सभी का दिल नवाचार के लिए धड़कता है और हर मन एक बेहतर भविष्य की खोज में है।”

एनआईटी राउरकेला के छात्रों सहित लगभग 5000 प्रतिभागियों और 600 से अधिक अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के छात्रों के साथ, इनोविजन 2024 ने अपनी लोकप्रियता को फिर से साबित किया है। बाहरी प्रतिभागियों के लिए एनआईटी राउरकेला में ठहरने की व्यवस्था की गई है।
 
प्रत्येक वर्ष, इनोविजन एक ऐसा वातावरण तैयार करता है जहाँ प्रौद्योगिकी के प्रति उत्साही लोग विचारों का आदान-प्रदान करते हैं और यादगार अनुभव बनाते हैं। यह महोत्सव अगली पीढ़ी के नवाचारकों की असीम रचनात्मकता और संभावनाओं का प्रमाण है।

हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ला का कहना है किसी भी राष्ट्र की उन्नति और समृद्धि के लिए आवश्यक है कि उसके नागरिक अपने भीतर राष्ट्रवाद की भावना को सतत जीवंत रखें। वे वाराणसी में प्रख्यात लेखिका डा. नीरजा माधव की तीन पुस्तकों के लोकार्पण समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे।

कमिश्नरी सभागार, वाराणसी में डॉ. नीरजा माधव की तीन पुस्तकों का एक साथ लोकार्पण हुआ। पहली पुस्तक "अर्थात् राष्ट्रवाद" जो प्रभात प्रकाशन नई दिल्ली से प्रकाशित है और शेष दो पुस्तकें" नीरजा माधव :रचना धर्मिता  के सोपान" और दूसरी पुस्तक "नीरजा माधव:सृजन का आयतन "प्रलेक प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित हैं। डॉ. नीरजा माधव के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित इन दोनों पुस्तकों के सम्पादक  हैं-  डॉ बेनी माधव मिश्र और  डॉ. कवीन्द्र नारायण श्रीवास्तव।

"अर्थात् राष्ट्रवाद" पुस्तक पर  अपने विचार रखते हुए राज्यपाल श्री शुक्ला ने कहा--राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण में साहित्य की अहम भूमिका होती है। अपने व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर जब मनुष्य अपने राष्ट्र को महत्व देता है और उसकी सेवा में जी जान से तत्पर होता है तब राष्ट्रीय चरित्र का प्रादुर्भाव होता है। साहित्य में विचारों को आकार देने, परिवर्तन लाने की क्षमता है और यह क्षमता डॉक्टर नीरजा माधव के लेखन में दिखाई देती है।

अपने अध्यक्षीय भाषण में अंतर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केंद्र बीएचयू के निदेशक प्रो. प्रेम नारायण सिंह ने कहा--डॉ. नीरजा माधव  ने 'अर्थात राष्ट्रवाद' नामक पुस्तक के कुल 14 अध्याय में राष्ट्रवाद के विभिन्न पक्षों पर अत्यंत प्रामाणिकता के साथ सारगर्भित विवरण प्रस्तुत किया है, जो शिक्षा जगत समाज और मानवता के लिए उपयोगी होगा।

अपने लेखकीय संबोधन में डॉ. नीरजा माधव ने कहा कि राष्ट्रवाद के अस्तित्व में आए बिना व्यक्ति मानवतावादी नहीं हो सकता और इस प्रकार अंतरराष्ट्रवादी भी नहीं हो सकता। राष्ट्रवाद किसी भी देश के नागरिकों की अपने देश के प्रति एक रागात्मक भावना है, जो उसे उसी तरह उत्तराधिकार में मिली होती है जैसे उसके देश के प्राकृतिक संसाधन, संस्कृति, परंपराएं आदि मिली होती हैं। 21वीं सदी आते-आते कुछ थोड़े से वक्रपंथियों द्वारा राष्ट्रवाद  को संकीर्ण और सांप्रदायिक रूप देने की कोशिशें की जाने लगीं, तब मन में आया कि राष्ट्रवाद का मूल स्वरूप नई पीढ़ियों और समाज के सामने आना चाहिए। उसी का परिणाम है- अर्थात् राष्ट्रवाद।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. राम सुधार सिंह ने कहा कि जैसे गंगोत्री से निकलती हुई गंगा पहाड़ों में विविध नामो से प्रवाहित होती हुई मैदानी भाग को हरीतिमा प्रदान करती है, किंतु उसका लक्ष्य तो अनंत महासागर  होता है। उसी प्रकार नीरजा जी के साहित्य का उत्स कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध जैसी विविध विधाओं के रूप में एक बड़े पाठक वर्ग को आनंद प्रदान करता है किंतु सभी का लक्ष्य राष्ट्रीय और सांस्कृतिक चिंतन के साथ अपने साहित्य की प्रत्येक धारा को इस महान राष्ट्र की अस्मिता को समर्पित कर देना है। नीरजा जी के लेखन प्रक्रिया का कैनवास बहुत बड़ा है। अपने कथा साहित्य में वे उन विषयों को उठाती हैं जो प्राय: अब तक अछूते रहे हैं। यमदीप, गेशे जम्पा जैसे उपन्यासों के साथ उनकी तमाम कहानियां इसके प्रमाण हैं। राष्ट्रीय और सांस्कृतिक चिंतन के संबंध में डॉ माधव की अपनी स्पष्ट दृष्टि है।

विशिष्ट अतिथि प्रो. अरविंद जोशी ने वैश्वीकरण की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए भारत के विस्तृत सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को स्पष्ट किया और कहा कि राष्ट्रवाद की पश्चिमी लेंस से संकुचित एवं गलत व्याख्या गंभीर संकट पैदा कर रही है। डॉ.नीरजा की यह कृति मात्र साहित्यिक ही नहीं है,बल्कि यह भारतीय राष्ट्रवाद को समझने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका में है।

सभा को विशिष्ट अतिथि पद से संबोधित करते हुए पत्रकार एवं स्वराज एक्सप्रेस राष्ट्रीय चैनल के प्रभारी धर्मेंद्र त्रिपाठी ने डॉ.नीरजा माधव की रचनाओं को सामाजिक मूल्य और राष्ट्र की एकता का आधार बताया जो आने वाली पीढियां को भी अपनी संस्कृति मूल्य और देश के प्रति अगाध प्रेम के लिए सदैव प्रेरित करती रहेंगी। 

अपने संपादकीय उद्बोधन में डॉ. कवीन्द्र नारायण श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों पुस्तकों के संपादन के दौरान नीरजा जी की समग्र कृतियों का गहन अध्ययन करने के बाद यदि नीरजा जी को "कथा क्वीन" कहा जाए तो भारतीय साहित्य जगत की ओर से उनके लिए यह सबसे उपयुक्त उपाधि होगी। कहानियों और उपन्यासों का एक विपुल संसार उन्होंने साहित्य समाज को दिया है। उन्होंने कहा कि नीरजा जी के शब्दों में अमोघ शक्ति है जो पाठक की अंतरात्मा को गहराई से झकझोरती है। आए हुए अतिथियों का स्वागत एवं मंच संचालन डॉ. बेनी माधव ने किया और धन्यवाद ज्ञापन पद्मनाभ त्रिवेदी ने किया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी में बेसिक शिक्षकों के समायोजन को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने समायोजन प्रक्रिया से जुड़ी सभी गतिविधियों को रोकने और त्रुटियों को सुधारने का आदेश दिया है। समायोजन प्रक्रिया का सीधा असर प्रदेश के करीब 80% स्कूलों पर पड़ रहा था, जिससे बड़ी संख्या में शिक्षा प्रभावित हो रही थी। 

असल में जूनियर टीचर  बेसिक शिक्षकों के समायोजन को रद्द करने की मांग लेकर हाई कोर्ट पहुंचे थे। उनकी तरफ से कहा गया था कि बिना पारदर्शिता इस प्रकार के समायोजन को अंजाम दिया गया। अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया है। इस बात को स्वीकार किया गया है कि कुछ त्रुटियां हुई थीं।

हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग में समायोजन प्रक्रिया को अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन माना है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश से प्रदेश के लाखों शिक्षकों को तगड़ा झटका लगा है। इस आदेश के बाद प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों में चल रहे समायोजन की प्रक्रिया प्रभावित हो गई है। ऐसे में समायोजन का इंतजार कर रहे प्रदेश के लाखों शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है। इस आदेश का असर उन शिक्षकों पर पड़ेगा जो ट्रांसफर का लम्बे समय से इंतजार कर रहे थे, लेकिन अब कोर्ट के आदेश के बाद उनका इंतजार ही और ज्यादा लंबा होने वाला है। 

उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग में 2011 से चल रही समायोजन प्रक्रिया को लेकर कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस प्रक्रिया के तहत लागू नियम 'लास्ट कम फर्स्ट आउट' को संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के खिलाफ माना है। इसका मतलब है कि नए शिक्षकों को हमेशा वरीयता में नीचे रखा जाता है और ट्रांसफर पॉलिसी में बाहर कर दिया जाता है, जबकि वरिष्ठ शिक्षक लंबे समय तक एक ही जगह पर तैनात रहते हैं। रीना सिंह एंड अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में कोर्ट ने यह आदेश दिया है। कोर्ट का मानना है कि यह प्रक्रिया जूनियर शिक्षकों के साथ अन्याय करती है और वरिष्ठ शिक्षकों को फायदा पहुंचाती है 

समायोजन के फैसले को ऐसे समझा जा सकता है कि जैसे एक स्कूल में 10 टीचर हैं, दूसरे स्कूल में 3 टीचर हैं , जहां 10 टीचर हैं वहां 8 की ज़रूरत है. अभी तक यह होता आया है जहां 10 टीचर हैं वहां से 2 टीचर हटा देते हैं और उन्हें समायोजित कर दूसरे कम वाले स्कूल में कर देते हैं।  समायोजन में यह होता है की जो टीचर बाद में पोस्ट होता है उसको पहले हटा देते हैं जबकि होना चाहिए जो पुराना है, उसको हटाना चाहिए था। इस बात पर बहस हुई थी जिसको कोर्ट ने कैंसिल कर दिया है। कोर्ट ने कहा है पहले नीति बनाइए फिर समायोजित करिए। 

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई (CBSE) की कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा 15 फरवरी से शुरू होंगी। बोर्ड ने यह तारीख तो काफी दिन पहले जारी कर दी थी, लेकिन अभी पूरा टाइम टेबल यानी डेटशीट जारी नहीं हुई है। बोर्ड की ओर से डेटशीट जल्द जारी की जाएगी। संभावना है कि सीबीएसई 10वीं और 12वीं बोर्ड एग्जाम की डेट शीट दिसंबर में जारी होगी। डेटशीट जारी होने के बाद बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in पर जाकर टाइमटेबल डाउनलोड कर सकते हैं। डेटशीट पीडीएफ फॉर्मेट में जारी होगी। 

जो छात्र भारत और विदेश दोनों में इन परीक्षाओं में शामिल होना चाहते हैं, वे आधिकारिक CBSE वेबसाइट cbse.gov.in या cbse.nic.in से टाइमटेबल एक्सेस और डाउनलोड कर सकते हैं। बता दें कि बोर्ड ने इस साल 10वीं-12वीं के रिजल्ट की घोषणा के दौरान यह पुष्टि की थी कि कक्षा 10 और कक्षा 12 के लिए 2025 की बोर्ड परीक्षाएं 15 फरवरी से शुरू होंगी।

सीबीएसई बोर्ड इस शैक्षणिक सत्र के लिए 10वीं और 12वीं कक्षाओं के लिए प्रायोगिक परीक्षाओं की तिथि की घोषणा पहले ही कर चुका है। इसके अनुसार, यह 1 जनवरी, 2025 से प्रायोगिक परीक्षाएं देश भर में सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों में आयोजित की जाएंगी। हालांकि, शीतकालीन स्कूलों के लिय यह तिथियां अलग हैं। यहां प्रैक्टिकल एग्जाम 5 नवंबर, 2024 से 5 दिसंबर, 2024 तक आयोजित किए जाएंगे। प्रायोगिक परीक्षाओं तिथि जारी होने के बाद अब दसवीं और बारहवीं के छात्र-छात्राओं को थ्योरी एग्जाम की डेटशीट जारी होने का इंतजार है, जिसके जल्द ही जारी होने की उम्मीद है।

 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता विज्ञान का एक नया वरदान है। कंप्यूटर के क्षेत्र में नई तकनीक। जॉन मैकार्थी को इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जनक माना जाता है। एक ऐसी विधा जिसमें मशीन से मशीन की बातें होती है। एक कंप्यूटर दूसरे कंप्यूटर से बात करता है। यह विज्ञान का अद्भुत चमत्कार है। मानव जीवन में तो इसका दखल बढ़ा ही है, करियर के लिहाज से भी इसका दायरा और और विस्तृत होता जा रहा है। इसमें मैकेनिकल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग, अप्लाइड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ-साथ रोबोटिक ऑटोमेशन इंजीनियरिंग में डिप्लोमा, बैचलर डिग्री, मास्टर डिग्री और रिसर्च आदि में करियर विकल्प हैं। 

अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक और फिनलैंड के सवोनिया यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंस के प्रोफेसर डॉ राजीव कंठ से इस विषय पर हमने विस्तृत चर्चा की। उनसे चर्चा के क्रम में पता चलता है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आने वाले समय में हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण हो जाएगा। बातचीत के कुछ अंश :

प्र. - सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नया क्या है?

उ. - सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आज हर दिन कुछ ना कुछ नया हो रहा है। यही वजह है कि इस क्षेत्र को पोटेंशियल डेवलपमेंट एरिया के रूप में देखा जा रहा है। अब तक मशीन से आदमी की बात होती थी। अब मशीन से मशीन की बात होती है। यह सबसे नई तकनीक है।


प्र. - इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती क्या है?

उ. - इस क्षेत्र में जितनी नई चीजें आ रही हैं या कह सकते हैं कि जितनी नई चीजों पर शोध हो रहा है, उन चीजों का समुचित विकास करना सबसे बड़ी चुनौती है।


प्र. - इस क्षेत्र के कई आयाम हैं जैसे इंटरनेट, ई-बैंकिंग, ई-कॉमर्स, ईमेल आदि इन सब में सबसे बड़ी चुनौती किस क्षेत्र में है?

उ. - चुनौती तो सभी क्षेत्र में है। किसी भी चुनौती को कम नहीं कहा जा सकता लेकिन बैंकिंग क्षेत्र में ज्यादा कह सकते हैं। क्योंकि लोग मेहनत की कमाई बैंक में रखते हैं और हैकर्स सेकंडों में उसे उड़ा लेते हैं। इसलिए बैंकिंग के क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती है।


प्र. - हैकरों से छुटकारा पाने के लिए क्या सुझाव देना चाहेंगे?

उ. - हैकरों से छुटकारा पाने के लिए सुझाव है कि पासवर्ड किसी से शेयर ना करें। पासवर्ड 3-4 लेयर का बनाएं और एक निश्चित समय अंतराल के बाद पासवर्ड को बदलते रहें। ये कुछ उपाय हैं जिससे हैकरों से बचा जा सकता है।


प्र. - युवाओं को करियर के लिए क्या सुझाव देना चाहेंगे?

उ. - करियर के लिहाज से यह क्षेत्र काफी अच्छा है। आज हर युवा जो इस फील्ड में करियर बनाना चाहता है उसकी पहली चॉइस कंप्यूटर साइंस होता है। जब वह कंप्यूटर साइंस से स्नातक करता है, उसके बाद सूचना प्रौद्योगिकी आथवा कृत्रिम बुद्धिमता या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मैं अपना कैरियर बनाना चाहता है। रोबोट बनाने की ख्वाहिश आज हर सूचना प्रौद्योगिकी पढ़ने वाले छात्र की होती है।

 

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत की कुल आबादी का एक तिहाई से अधिक हिस्सा 15 से 25 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं का है। आशाओं और आकांक्षाओं से आच्छादित जीवन का यही वह दौर होता है जब एक युवा अपने करियर को लेकर गंभीर होता है। इसी के दृष्टिगत वह अपनी एक अलहदा राह का निर्धारण करता है, सीखने के लिए तदनुरूप विषय का चयन करता है और भविष्य में उसे जिन कार्यों को सम्पादित करना है, उसके मद्देनज़र निर्णय के पड़ाव पर पहुँचने का प्रयास करता है। और यही वह पूरी प्रक्रिया है जो उसे आत्मनिर्भर बनाती है। लिहाजा, जीवन के इस कालखंड में आवश्यक है कि कोई उसका हाथ थामे, उसका ज़रूरी मार्गदर्शन करे।

हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इंजीनियरिंग, मेडिकल और मैनेजमेंट अब भी करियर-निर्माण के लिहाज से पसंदीदा क्षेत्र बने हुए हैं, जबकि सीखने, काम करने और अपने पेशेवर जीवन के निर्माण के लिए 99 अन्य विशिष्ट क्षेत्र भी हैं। इनमें डिजाइन, मीडिया, फोरेंसिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, अलाइड हेल्थकेयर, कृषि आदि शामिल हैं। दुर्भाग्यवश, करियर के इन क्षेत्रों को लेकर बहुत कम चर्चा होती है। कोई इस पर बात नहीं करता कि इन डोमेन में नवीनतम क्या है।

हम यह भी न भूलें कि लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था में भारतीय मीडिया की हिस्सेदारी करीब 1% की है। प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष  2 मिलियन से अधिक लोग किसी न किसी रूप में इससे सम्बद्ध हैं। मीडिया एक ऐसा क्षेत्र भी है, जो लोगों के दिलो-दिमाग पर गहरा प्रभाव छोड़ता है। लेकिन शायद ही कोई ऐसा समर्पित मीडिया मंच है जिसका मीडिया-शिक्षा और लर्निंग की दिशा में ध्यान केंद्रित हो। सार्वजनिक जीवन में शायद मीडिया-शिक्षा अभी भी सबसे उपेक्षित क्षेत्र है।

हमें नहीं भूलना चाहिए कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा, ये दो ऐसे क्षेत्र हैं जो वास्तव में बड़े देशों के बीच सबसे बड़ी युवा आबादी वाले देश में मानव संसाधन के लिए उत्तरदायी हैं। दुर्भाग्य कि इन क्षेत्रों पर शासन और देश की राजनीति का ध्यान सबसे कम केंद्रित होता है। आने वाले समय में इन पर सार्वजनिक तौर पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

न भूलें कि भारत की उच्च शिक्षा का आज वृहद् दायरा है, जहां बारहवीं कक्षा से ऊपर के सौ मिलियन से अधिक शिक्षार्थी हैं, लेकिन इनमें अधिकांश की स्तर सामान्य और गुणवत्ता औसत है। अपवादस्वरूप,  कुछ संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। ऐसे में यदि हम चाहते हैं कि हमारे पास मौजूद जनसांख्यिकीय लाभ का सकारात्मक परिणाम हमें प्राप्त हो तो गुणवत्ता के दायरे का तेजी से विस्तार अतिआवश्यक है।

और, यही वजह है कि उपरोक्त सन्दर्भों पर ध्यान केंद्रित करने और सर्वप्रथम भारत और तदुपरांत एशिया की उच्च शिक्षा (विशेष क्षेत्रों में ख़ास तौर पर ) में प्रगति को गति प्रदान करने के लिए, एक मई को श्रमिक दिवस पर एडइनबॉक्स हिंदी के साथ हम आपके समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं। शिक्षा के सामर्थ्य और श्रम की संघर्षशीलता को नमन करते हुए यह हमारी तरफ से इसका सम्मान है, एक उपहार।

साथ ही,  इस मंच से हमारा प्रयास होगा बेहतर गुणवत्ता वाले उच्च शिक्षा संस्थानों का समर्थन करना और स्कूलों से निकलने वाले नौजवानों को ज्ञान, जानकारी और अंतर्दृष्टि के साथ उन्हें उनके सपनों के करियर और संस्थानों में प्रवेश की राह आसान बनाने में सहायता करना। इन क्षेत्रों के महारथियों की उपलब्धियों को भी सम्बंधित काउन्सिल के माध्यम से, संस्थानों और मार्गदर्शकों को सम्मानित कर उनकी महती भूमिका को लोगों के समक्ष रखने और उजागर करने का हमारा प्रयास होगा। हमारा इरादा हर क्षेत्र या डोमेन का एक इकोसिस्टम निर्मित करना है, धरातल पर भी और ऑनलाइन भी। 

तो आइये, एडइनबॉक्स के साथ हम उच्च शिक्षा जगत की एक प्रभावी यात्रा पर अग्रसर हों। 

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प्रो उज्ज्वल अनु चौधरी
वाइस प्रेजिडेंट, वाशिंगटन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी 
एडिटर, एडइनबॉक्स (Edinbox.com) 
पूर्व सलाहकार और प्रोफेसर, डैफोडिल इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, ढाका
(इससे पूर्व एडमास यूनिवर्सिटी से प्रो वीसी के रूप में,
सिम्बायोसिस व एमिटी यूनिवर्सिटी, पर्ल अकादमी और डब्ल्यूडब्ल्यूआई के डीन,
और टीओआई, ज़ी, बिजनेस इंडिया ग्रुप से जुड़ाव के साथ भारत सरकार और डब्ल्यूएचओ/टीएनएफ के मीडिया सलाहकार रहे हैं।)

फोरेंसिक साइंटिस्ट बनने और इस क्षेत्र में अपने ज्ञान को समृद्ध करने के इच्छुक छात्रों के लिए प्रतिष्ठित AIFSET 2024 परीक्षा की तैयारी का समय आ गया है। फोरेंसिक विज्ञान शिक्षा में नए मानक स्थापित करने के लिए निर्धारित यह परीक्षा आपकी लगन और क्षमता के मूल्यांकन का प्रमाण है।

ऑनलाइन आयोजित होने वाली इस परीक्षा में आप अपने पसंदीदा डिवाइस के माध्यम से भाग ले सकते हैं। अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने की अपनी स्थापित परंपरा के साथ ऑल इंडिया फोरेंसिक साइंस एंट्रेंस टेस्ट (AIFSET) देश के प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थानों में आपके लिए प्रवेश द्वार खोलने का कार्य करता है।

फोरेंसिक विज्ञान में करियर के अवसर:

AIFSET द्वारा संचालित फोरेंसिक विज्ञान कार्यक्रमों के स्नातक इंटेलिजेंस ब्यूरो, केंद्रीय जांच ब्यूरो और सरकारी फोरेंसिक प्रयोगशालाओं जैसे प्रतिष्ठित संगठनों में करियर के अनेकानेक अवसर हासिल कर सकते हैं। औसतन लगभग आठ लाख रुपये प्रति वर्ष के शुरुआती वेतन के साथ, फोरेंसिक विज्ञान पेशेवर आपराधिक जांच से लेकर डिजिटल फोरेंसिक तक के क्षेत्रों में सार्थक योगदान देने के लिए स्वयं को मजबूत स्थिति में पाते हैं।

उम्मीदवार बिना नेगेटिव मार्किंग के डर के इस परीक्षा में पूछे जाने वाले सभी प्रश्नों को हल करने का प्रयास कर सकते हैं, ताकि उनके ज्ञान और कौशल का व्यापक मूल्यांकन हो सके। यह परीक्षा ऑनलाइन आयोजित की जाएगी, जिससे सभी आवेदकों तक इसकी पहुँच और यह सुविधा सुनिश्चित हो। उम्मीदवार मोबाइल फोन, लैपटॉप या डेस्कटॉप कंप्यूटर का उपयोग करके इसमें भाग ले सकते हैं। AIFSET 2024 परीक्षा की अवधि 60 मिनट की है, जिसमें फोरेंसिक विज्ञान अवधारणाओं और अनुप्रयोगों में उम्मीदवारों की दक्षता का परीक्षण किया जाएगा। 

इच्छुक उम्मीदवारों को आवश्यक रूप से 2000 रुपये का नॉन रिफंडेबल आवेदन शुल्क देना होगा। इस शुल्क का UPI, पेटीएम, क्रेडिट/डेबिट कार्ड और नेट बैंकिंग सहित विभिन्न माध्यमों से भुगतान कर सहज पंजीकरण करा सकते हैं। आवेदक को अपने पसंदीदा परिसर का चुनाव करने की सुविधा है, जिससे वे अपनी शैक्षणिक यात्रा को अपनी आकांक्षाओं के अनुरूप बना सकें। 

सफलता के लिए तैयारी: 

AIFSET 2024 में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए, उम्मीदवारों को पाठ्यक्रम और परीक्षा पैटर्न की सावधानीपूर्वक समीक्षा करने की सलाह दी जाती है। इस प्रतियोगी परीक्षा में बेहतर परिणाम के लिए व्यापक तैयारी के साथ सभी आवश्यक विषयों को कवर करने और नमूना पत्रों का अभ्यास महत्वपूर्ण है। 

चाहे आपमें वैज्ञानिक जांचों के माध्यम से रहस्यों को उजागर करने को लेकर जुनून हो या आप कानूनी प्रणाली में योगदान के इच्छुक हों, AIFSET आपकी आकांक्षाओं को वास्तविकता में बदलने के लिए एक मंच प्रदान करता है। लगन से तैयारी करें, अपने कौशल का प्रदर्शन करें और AIFSET के माध्यम से फोरेंसिक विज्ञान पेशेवर बनने की दिशा में एक सार्थक यात्रा की शुरुआत करें।

अखिल भारतीय फोरेंसिक विज्ञान प्रवेश परीक्षा यानी ऑल इंडिया फोरेंसिक साइंस एंट्रेंस टेस्ट (AIFSET) एक प्रतिष्ठित परीक्षा है जो फोरेंसिक वैज्ञानिक बनने की महत्वाकांक्षा रखने वालों की योग्यता और ज्ञान का मूल्यांकन करती है। ईमानदारी और निष्पक्षता के उच्च मानकों को कायम रखते हुए, AIFSET उन प्रतिभाशाली व्यक्तियों को आकर्षित करता है जिनमें फोरेंसिक विज्ञान में योगदान की इच्छा और जुनून हो।

 

पैरामेडिकल साइंस का करियर के रूप में चुनाव उन लोगों के लिए एक बेहतरीन निर्णय साबित हो सकता है जिनमें प्रेरणा, दूसरों की मदद करने के जुनून के साथ उनपर अपना सार्थक प्रभाव छोड़ने की इच्छा हो। यह क्षेत्र एक संतोषजनक मार्ग प्रशस्त करता है जहाँ इसके पेशेवर तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करते हैं, रोगियों को स्थिर करते हैं और उनका जीवन बचाते हैं। यह एक ऐसी भूमिका है जो आपको अपार संतुष्टि देती है।

पैरामेडिक्स एक गतिशील वातावरण में काम करते हैं जो अपनी तेज़ गति और निरंतर सीखने के अवसरों के लिए जाना जाता है। वे आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, अस्पतालों, एम्बुलेंस सेवाओं, आपदा प्रबंधन और उससे परे भी महत्वपूर्ण देखभाल और सहायता प्रदान करते हैं।

यह एक महान पेशा है जो समर्पण, करुणा और सामुदायिक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता को महत्व देता है। जिन व्यक्तियों में ये गुण हैं और जो जीवन बचाने और दूसरों की सेवा करने पर केंद्रित करियर चाहते हैं, उनके लिए पैरामेडिकल उद्देश्य और प्रभाव से भरा एक पुरस्कृत मार्ग प्रदान करता है।

पहला चरण: ग्लोबल एलाइड हेल्थकेयर एंट्रेंस टेस्ट (GAHET 2024) एक ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा है। उम्मीदवार मोबाइल फोन, लैपटॉप या डेस्कटॉप कंप्यूटर का उपयोग करके इसमें आसानी से भाग ले सकते हैं।

दूसरा चरण: उम्मीदवारों को परीक्षा से 24 घंटे पहले ईमेल के माध्यम से व्यापक परीक्षा दिशानिर्देश और पैरामेडिकल परीक्षा पोर्टल लिंक प्राप्त होगा।

तीसरा चरण: उम्मीदवारों के लिए परीक्षा के दिशानिर्देशों की पूरी तरह से समीक्षा और पैरामेडिकल परीक्षा के लिए उपस्थित होने के दौरान निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।

ग्लोबल एलाइड हेल्थकेयर एंट्रेंस टेस्ट (GAHET 2024) देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने के इच्छुक छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। इन पाठ्यक्रमों की अवधि बैचलर ऑफ साइंस प्रोग्राम के लिए तीन साल और डिप्लोमा और मास्टर ऑफ साइंस प्रोग्राम दोनों के लिए दो साल है।

 

GAHET 2024 के लिए प्रश्नपत्र पैटर्न

- GAHET 2024 परीक्षा ऑनलाइन आयोजित की जाएगी, जिसमें लैपटॉप या डेस्कटॉप कंप्यूटर के माध्यम से भाग लिया जा सकता है।

- कुल 60 मिनट की अवधि वाला एक एकल प्रश्नपत्र होगा।

- प्रश्नपत्र का माध्यम अंग्रेजी होगा।

- प्रश्नपत्र में कुल 100 अंक होंगे।

- उम्मीदवारों को प्रत्येक सही उत्तर के लिए एक अंक दिया जाएगा। ख़ास बात यह है कि गलत उत्तर के लिए कोई नेगेटिव मार्किंग नहीं होगी।

GAHET 2024 का उद्देश्य पैरामेडिकल विज्ञान के क्षेत्र में उम्मीदवारों की योग्यता और ज्ञान का आकलन करना है, जिससे संबद्ध स्वास्थ्य सेवा में उनके भविष्य के करियर का मार्ग प्रशस्त हो सके। उम्मीदवारों को लगन से तैयारी करने, परीक्षा दिशानिर्देशों का पालन करने और पैरामेडिकल शिक्षा में एक उल्लेखनीय यात्रा शुरू करने के लिए इस अवसर का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

GAHET 2024 के बारे में अधिक जानकारी के लिए, जिसमें पंजीकरण प्रक्रिया और अपडेट शामिल हैं, उम्मीदवारों को www.edInbox.com और www.edInbox.com/hindi  वेबसाइट पर जाने की सलाह दी जाती है।

 

यह GAHET https://gahet.org/ परीक्षा मूल रूप से पैरामेडिकल छात्रों के लिए है, जो विभिन्न मेडिकल विषय सम्बन्धी पाठ्यक्रमों के लिए उम्मीदवारों की योग्यता, ज्ञान और कौशल का मूल्यांकन करती है। स्वास्थ्य देखभाल संबंधी प्रवेश परीक्षा की पात्रता के लिए, उम्मीदवारों को इसके लिए अधिकृत संचालकों द्वारा निर्धारित एक निश्चित सेट या मापक स्तर के योग्य होना चाहिए।

पैरामेडिकल परिणाम घोषित होने के बाद, उम्मीदवारों को अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर एक पैरामेडिकल कॉलेज और एक पाठ्यक्रम चुनना होता है। पैरामेडिकल काउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान, आवेदक अपने चुने हुए पैरामेडिकल कॉलेजों, निकटतम पैरामेडिकल परिसर और उपलब्ध विभिन्न स्वास्थ्य देखभाल पाठ्यक्रमों, जैसे हेल्थकेयर डिप्लोमा पाठ्यक्रम, 12वीं के बाद पैरामेडिकल पाठ्यक्रम और स्नातक के बाद पैरामेडिकल पाठ्यक्रम से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और यहां तक कि इस क्षेत्र में कैरियर के अवसरों का भी पता लगा सकते हैं। अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर भारत में सर्वश्रेष्ठ पैरामेडिकल कॉलेजों का निर्धारण करने के लिए, हमेशा कई कारकों पर विचार करें और गहन शोध करें।

स्वास्थ्य देखभाल पाठ्यक्रम विभिन्न विशेषज्ञताओं और अवधि के होते हैं, जिनमें डिप्लोमा पाठ्यक्रम, स्नातक पाठ्यक्रम और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शामिल हैं। ये डिग्री कार्यक्रम स्वास्थ्य देखभाल सहायता, निदान प्रक्रियाओं और रोगी देखभाल पर केंद्रित हैं। छात्र अपनी रुचि और करियर लक्ष्य के आधार पर पैरामेडिकल कोर्स चुन सकते हैं। भारत में हेल्थकेयर कॉलेज अपने बुनियादी ढांचे, सहयोग के अवसरों और प्लेसमेंट ड्राइव के लिए जाने जाते हैं। इन कॉलेजों में अक्सर आधुनिक सुविधाएं और शिक्षा के लिए छात्र-केंद्रित दृष्टिकोण होता है। निजी हेल्थकेयर कॉलेजों को पसंद करने वाले उम्मीदवार निर्णय लेने के लिए विभिन्न पाठ्यक्रमों, संकायों, संबद्धताओं और कैरियर प्रॉस्पेक्टस का पता लगा सकते हैं।

पैरामेडिक्स को करियर का चयन उन उम्मीदवारों के लिए एक बेहतर विकल्प है जो संबद्ध स्वास्थ्य देखभाल और दूसरों की मदद करने को लेकर उत्साह होता है। यह क्षेत्र लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए कई अवसर प्रदान करते हुए करियर का मार्ग प्रशस्त करता है। एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर के रूप में, आप तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान कर सकते हैं, रोगियों को स्थिति को स्थिर कर सकते हैं और उनका जीवन बचा सकते हैं। पैरामेडिकल क्षेत्र अपनी तीव्र गति और गतिशील प्रकृति के लिए जाना जाता है। यह डोमेन हर दिन सीखने और बढ़ने का अवसर बनाता है। पैरामेडिक्स जरूरतमंद व्यक्तियों को आवश्यक चिकित्सा देखभाल, परिवहन और सहायता प्रदान करने में सबसे आगे हैं। इन पेशेवरों की अस्पतालों, एम्बुलेंस सेवाओं, आपातकालीन कक्षों और विभिन्न अन्य स्वास्थ्य देखभाल संगठनों में आवश्यकता होती है।

स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में होने के नाते, आप एक महान पेशे का हिस्सा बन जाते हैं जहां जीवन बचाना और समुदाय की सेवा करना लक्ष्य है। इस क्षेत्र में ऐसे पेशेवरों की आवश्यकता है जो समर्पित, दयालु हों और दूसरों की मदद करने की वास्तविक इच्छा रखते हों। यदि किसी में ये गुण हैं और वह बदलाव लाने में विश्वास रखता है, तो पैरामेडिकल पेशेवर बनने के लिए यह डोमेन एक उत्कृष्ट विकल्प है।

डिप्लोमा कार्यक्रमों, स्नातक कार्यक्रमों और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में पेश किए जाने वाले विभिन्न पाठ्यक्रम फिजियोथेरेपी, ऑपरेशन थिएटर, व्यावसायिक थेरेपी, ऑप्टोमेट्री, कार्डियक टेक्नोलॉजी, एनेस्थीसिया, रेडियोलॉजी और इमेजिंग टेक्नोलॉजी, एक्स-रे तकनीशियन, मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, न्यूरोपैथी और योग विज्ञान हैं। इन विशेषज्ञताओं में करियर की अलग-अलग संभावनाएं हैं।

जो उम्मीदवार संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं, उन्हें हमारी GAHET परीक्षा 2024 देने की सलाह दी जाती है।

AIDAT https://aidatexam.com/ विशेषज्ञों की टीम में वरिष्ठ शिक्षाविद और परामर्शदाता (काउंसलर) शामिल हैं जो उम्मीदवारों के लिए सही कॉलेजों और पाठ्यक्रमों के चयन के लिए परामर्श और मॉक सत्र हेतु उपलब्ध हैं। परामर्शदाता (काउंसलर) चर्चा के माध्यम से छात्रों को उनकी रचनात्मक दृष्टि के अनुकूल सही निर्णय लेने में मदद करते हैं।

 

अखिल भारतीय डिज़ाइन एप्टीट्यूड टेस्ट (AIDAT- All India Design Aptitude Test): यह भारत की पहली राष्ट्रीय स्तर की डिज़ाइन प्रवेश परीक्षा है जो डिज़ाइन शिक्षा के माध्यम से एक कल्पनातीत, नवीन और रचनात्मक दुनिया के द्वार खोलती है। यह एक ऐसा मंच है जहां डिज़ाइन शिक्षा के इच्छुक अपनी इस क्षेत्र में अपनी यात्रा की शुरुआत करने के लिए आवेदन करते हैं और उन्हें प्रतिष्ठित डिजाइन संस्थानों  जुड़ने और पठन सामग्री, डिजाइन जगत के समाचार, उद्योग जागरूकता और विशेषज्ञ मार्गदर्शन प्राप्त करने का अवसर उपलब्ध होता है। भारत के शीर्ष विश्वविद्यालय और कॉलेज एआईडीएटी में भाग लेते हैं और विभिन्न डिज़ाइन विशेषज्ञताओं में डिप्लोमा, स्नातक और मास्टर डिग्री प्रदान करते हैं।

AIDAT विशेषज्ञों की टीम में वरिष्ठ शिक्षाविद और परामर्शदाता शामिल हैं जो उम्मीदवारों के लिए सही कॉलेजों और पाठ्यक्रमों के चयन के लिए मॉक सत्र और परामर्श सत्र हेतु उपलब्ध हैं। परामर्शदाता (काउंसलर) चर्चा करते हैं और छात्रों को उनकी रचनात्मक दृष्टि के अनुकूल सही निर्णय लेने में मदद करते हैं।

देश भर से इस मंच पर महत्वाकांक्षी डिज़ाइनर, कलाकार और दूरदर्शी डिज़ाइन योग्यता परीक्षणों (डिज़ाइन एप्टीटुड टेस्ट) के लिए अपनी प्रतिभा और जुनून का प्रदर्शन करने के लिए एक साथ आते हैं। हमारे इस अद्वितीय ज्ञान-साझेदारी और उद्योग से जुड़ाव वाले कार्यक्रमों से आपको ऐसी परीक्षाओं में सफल होने के लिए की अच्छी तैयारी के साथ-साथ इसे साकार करने में भी मदद मिलती है। यह परीक्षा डिज़ाइन क्षेत्र के प्रति जूनून रखने वाले ग्राफिक डिजाइनरों, फैशन डिजाइनरों, इंटीरियर डिजाइनरों, उत्पाद डिजाइनरों या किसी अन्य प्रकार के डिजाइनरों को डिजाइन जगत में चमकने और अपनई दमदार उपस्थिति दर्ज करने का अवसर उपलब्ध कराती है। 

AIDAT के लिए आवेदन करने के कई स्वाभाविक कारण हैं। अव्वल तो यह परीक्षा 50+ शीर्ष डिज़ाइन संस्थानों और कॉलेजों तक आपको पहुंच प्रदान करती है। दूसरे, यह 300+ डिप्लोमा, बैचलर और मास्टर डिग्री कार्यक्रम प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त करती है। तीसरा, यह एंड-टू-एंड काउंसलिंग और प्रवेश सहायता भी उपलब्ध कराती है।

एक करियर के रूप में डिज़ाइन का चयन आपकी रचनात्मकता को पूर्ण रूप से व्यक्त करने के कई अवसर प्रदान करता है। ग्राफिक डिज़ाइन से लेकर फैशन, इंटीरियर या औद्योगिक डिज़ाइन तक, यह क्षेत्र आपके जुनून को पंख देने के विविध अवसर प्रदान करता है। आज के बाजार परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए, व्यवसाय और उद्योग ऐसे डिजाइनरों की तलाश कर रहे हैं जो उनके ब्रांडों को आकर्षक और नवीन रूप से प्रदर्शित कर सकें। अगर आपके पोर्टफोलियो में डिज़ाइन कौशल शामिल है, तो विभिन्न उद्योगों में डिज़ाइनरों की काफी मांग है। एक डिजाइनर के रूप में, आप अपने काम से सीधे लोगों के व्यवहार, भावनाओं और धारणाओं को प्रभावित कर पाते हैं। आपका डिज़ाइन लोगों के उत्पादों और ब्रांडों के साथ इंटरैक्ट करने के तरीके को दिशा दे सकता है। डिज़ाइन क्षेत्र लगातार विकसित हो रहा है, जो आपके कौशल को नवीनतम तकनीकों और सॉफ़्टवेयर के साथ अद्यतन या अपडेट रखने के लिए निरंतर सीखने के अवसर प्रदान करता है।

ग्लोबल मीडिया कॉमन एंट्रेंस टेस्ट यानि जीएमसीईटी (GMCET) https://gmcet.org/ मीडिया, पत्रकारिता और जनसंचार के लिए भारत की पहली राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा है। यह दक्षिण एशिया के सबसे बड़े शिक्षा-केंद्रित प्लेटफॉर्म एडइनबॉक्स द्वारा संचालित है। इसकी पहचान भारत में मीडिया पूर्वस्नातक इच्छुक छात्रों के लिए सबसे बड़े आधारस्वरुप है।

यह एक अखिल-दक्षिण एशिया ग्लोबल मीडिया कॉमन एंट्रेंस टेस्ट है जो स्नातक मीडिया पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रदान करता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, इसमें भारत, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, मलेशिया और कई अन्य देशों के संस्थानों और विश्वविद्यालयों की भागीदारी के साथ वैश्विक आधार हैं, जो वर्ष के प्रत्येक महीने में एक बार अप्रैल से सितंबर के महीनों में निर्धारित होते हैं।

भारत के एक प्रतिष्ठित शिक्षा पोर्टल Edinbox.com ने शुरुआत में इस विचार की शुरुआत की और GMEC का समर्थन किया। मीडिया के इच्छुक लोगों के लिए, विभिन्न क्षेत्रों के सदस्यों के साथ एक वैश्विक मीडिया शिक्षा परिषद है जो सीखने के दृष्टिकोण, उपकरण और तकनीकों में योगदान देती है। परिषद तीन हितधारकों: मीडिया शिक्षक (संस्थान), शिक्षार्थी (प्रशिक्षु) और उद्योग (भर्तीकर्ता) के बीच एक पुल के रूप में काम करता है। इस परिषद की स्थापना भारत में भारतीय कानून द्वारा एक गैर-लाभकारी संगठन के माध्यम से की गई है।

यहां सवाल उठता है: GMCET क्यों? उत्तर सरल है: यह आवेदकों को मीडिया उद्योग के लिए उनकी उपयुक्तता की जांच करने देता है, प्रत्येक क्षेत्र में अवसरों और कौशल पर प्रशांत उद्योग और अकादमिक विशेषज्ञों द्वारा मीडिया विशेषज्ञता पर परामर्श देता है, उन्हें भारत के कई विश्वविद्यालयों तक पहुंचने देता है, और प्रवेश देता है। GMEC सदस्य विश्वविद्यालयों के माध्यम से इंटर्नशिप, लाइव मीडिया प्रोजेक्ट और प्लेसमेंट के लिए पर्याप्त विकल्प।

यह परीक्षा इसमें भागीदारी करने वाले अनेक विश्वविद्यालयों में विभिन्न स्नातक मीडिया कार्यक्रमों और पाठ्यक्रमों- बैचलर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन, बैचलर ऑफ आर्ट्स इन जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन, बैचलर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, बैचलर ऑफ मास कम्युनिकेशन और बैचलर ऑफ मास मीडिया में प्रवेश प्रदान करती है।

यह सभी डिग्री कार्यक्रमों में सफल करियर के लिए विभिन्न परिदृश्यों और संभावित परिणामों के लिए छात्रों के संचार कौशल और आवश्यक विश्लेषण और तार्किक तर्क कौशल का आकलन करता है।

यूजीसी द्वारा अनुमोदित विश्वविद्यालय से पत्रकारिता और जनसंचार में डिग्री आपको विभिन्न सरकारी और निजी क्षेत्रों में नौकरियां दिला सकती है। डिग्री पूरी करने के बाद, किसी स्थापित मीडिया हाउस से जुड़ने का मौका पाएं, या आप विभिन्न मीडिया पोर्टलों में ऑनलाइन कंटेंट राइटर के रूप में भी सेवाएं दे सकते हैं।

फोरेंसिक विज्ञान AIFSET https://aifset.com/  एक अपराध-स्थल-आधारित विज्ञान है, लेकिन फोरेंसिक विज्ञान स्नातकों से सिविल केस में भी परामर्श लिया जाता है, जैसे किसी महत्वपूर्ण दस्तावेज या अन्यत्र दर्ज हस्ताक्षर को वैधता प्रदान करने के मामले में। किसी अवैध गतिविधि से संबंधित मुद्दों के लिए फोरेंसिक विज्ञान पेशेवरों से परामर्श लिया जाता है।

अखिल भारतीय फोरेंसिक विज्ञान प्रवेश परीक्षा: यह परीक्षा उन छात्रों के लिए तैयार की गई एक राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा है, जो फोरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं। आवेदक इस प्रवेश परीक्षा के लिए अपना पंजीकरण करा सकते हैं। इसमें स्नातक की डिग्री तीन साल की है, और स्नातकोत्तर की डिग्री दो साल की है।

AIFSET के योग्य उम्मीदवारों को AIFSET में भाग लेने वाले किसी भी विश्वविद्यालय में प्रवेश दिया जा सकता है। इस वर्ष, भारत के कई शीर्ष विश्वविद्यालय और कॉलेज AIFSET परीक्षा में हिस्सेदारी कर रहे हैं और छात्रों को फोरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में स्नातक और मास्टर डिग्री कार्यक्रम उपलब्ध करा रहे हैं।

फोरेंसिक विज्ञान एक अपराध-स्थल-आधारित विज्ञान है, लेकिन फोरेंसिक विज्ञान स्नातकों से सिविल केस में भी परामर्श लिया जाता है, जैसे किसी महत्वपूर्ण दस्तावेज या अन्यत्र दर्ज हस्ताक्षर को वैधता प्रदान करने के मामले में। किसी अवैध गतिविधि से संबंधित मुद्दों के लिए फोरेंसिक विज्ञान पेशेवरों से परामर्श लिया जाता है।

उम्मीदवार के पास मुख्य विषयों के रूप में भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान/गणित के साथ न्यूनतम 50% अंकों के साथ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय या समकक्ष न्यूनतम शैक्षिक योग्यता होनी चाहिए। जो अभ्यर्थी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय परीक्षा में शामिल होने वाले हैं, वे भी इस प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं। मास्टर डिग्री के लिए उम्मीदवार को न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से संबंधित विषयों या स्ट्रीम में बीएससी फोरेंसिक साइंस या बीएससी में स्नातक होना चाहिए। जो लोग स्नातक कार्यक्रम के अंतिम सेमेस्टर में हैं, वे भी आवेदन करने के पात्र हैं। उम्मीदवार अकऋरएळ परीक्षा अधिकतम तीन बार दे सकते हैं।

स्नातक पाठ्यक्रम छात्रों को वैज्ञानिक अनुप्रयोगों और अपराधों की जांच के ज्ञान के बारे में शिक्षित करते हैं। इसमें विभिन्न विषय शामिल हैं और यह अपराध स्थलों पर विभिन्न वस्तुओं का विश्लेषण और अध्ययन करता है। अपराध स्थल पर खून के धब्बे, मिट्टी, हड्डियां, उंगलियों के निशान, मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर से डेटा पुनर्प्राप्त करना, डीएनए प्रोफाइलिंग आदि शामिल हैं, जिनका विश्लेषण किया जाना चाहिए।

पोस्ट ग्रेजुएशन में आपराधिक जांच का अध्ययन शामिल है। यह लोगों को निर्देश प्रदान करता है जिसमें अपराध स्थलों पर पाए गए सबूतों का उपयोग करके संदिग्धों का आकलन करना और उनका पता लगाना शामिल है। निर्देश और अध्ययन के माध्यम से, पाठ्यक्रम फोरेंसिक विज्ञान अवधारणाओं, कानून प्रवर्तन और जांच की संपूर्ण समझ में सुधार करता है। इस कार्यक्रम के साथ, छात्र विभिन्न प्रक्रियाओं, फोटोग्राफी तकनीकों और विभिन्न परिदृश्यों में अपराध स्थल की निगरानी सीखते हैं।

सफल स्नातक जिन्होंने फोरेंसिक विज्ञान पाठ्यक्रमों का चयन किया है, वे सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में नौकरियां पा सकते हैं। स्नातकों को साइबर अपराध जांच, उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी अभियान, पर्यावरण और मानवाधिकारों की सुरक्षा से संबंधित संगठनों में नियुक्त किया जाता है। उन्हें सीबीआई-केंद्रीय जांच ब्यूरो, आईबी-इंटेलिजेंस ब्यूरो, एफएसएल-फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं, नैदानिक अनुसंधान, सिविल सेवाओं और पुलिस विभागों द्वारा भी काम पर रखा जाता है, और अन्य छात्र भी पाठ्यक्रम में उच्च अध्ययन के लिए जा सकते हैं, उदाहरण के लिए, डॉक्टरेट उसी क्षेत्र में डिग्री।

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'सिटी ऑफ जॉय' कहे जाने वाले कोलकाता शहर में 16 अप्रैल का दिन वाकई उत्साह से भरा रहा, जब 'एडइनबॉक्स' ने अपना विस्तार करते हुए यहाँ के लोगों के लिए अपनी नई ब्रांच का शुभारम्भ किया। ख़ास बात यह रही कि इस मौके पर इटली से आये मेहमानों के साथ 'एडइनबॉक्स' की पूरी टीम मौजूद थी। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में उदघाटित इस कार्यालय से पूर्व 'एडइनबॉक्स' की शाखाएं दिल्ली, भुवनेश्वर, लखनऊ और बैंगलोर जैसे शहरों में पहले से कार्य कर रही हैं।

कोलकाता में एडइनबॉक्स की नयी ब्रांच के उद्घाटन कार्यक्रम में इटली के यूनिमार्कोनी यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधिमंडल की गरिमामयी उपस्थिति ने इस अवसर को तो ख़ास बनाया ही, सहयोग और साझेदारी की भावना को भी इससे बल मिला। विशिष्ट अतिथियों आर्टुरो लावेल, लियो डोनाटो और डारिना चेशेवा ने 'एडइनबॉक्स' के एडिटर उज्ज्वल अनु चौधरी, बिजनेस और कंप्यूटर साइंस के डोमेन लीडर डॉ. नवीन दास, ग्लोबल मीडिया एजुकेशन काउंसिल डोमेन को लीड कर रहीं मनुश्री मैती और एडिटोरियल कोऑर्डिनेटर समन्वयक शताक्षी गांगुली के नेतृत्व में कोलकाता टीम के साथ हाथ मिलाया। 

समारोह की शुरुआत अतिथियों का गर्मजोशी के साथ स्वागत से हुई। तत्पश्चात दोनों पक्षों के बीच विचारों और दृष्टिकोणों का सकारात्मक आदान-प्रदान हुआ। डारिना ने पारम्परिक तरीके से रिबन काटकर आधिकारिक तौर पर कार्यालय का उद्घाटन किया और इस मौके को आपसी सहयोग के प्रयासों की दिशा में एक नए अध्याय की शुरुआत बताया। बाकायदा इस दौरान यूनिमार्कोनी विश्वविद्यालय के प्रतिनिधिमंडल और EdInbox.com टीम के बीच एक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर भी हुआ। यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और प्रगति के लिए साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है, साथ ही भविष्य में अधिक से अधिक छात्रों का नेतृत्व कर इस पहल से उन्हें सशक्त बनाया जा सकता है ताकि वे वैश्विक मंचों पर सफलता के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। 

समारोह के समापन की वेला पर दोनों पक्षों द्वारा एक दूसरे को स्मारिकाएं भेंट की गयीं।  'एडइनबॉक्स' की नई ब्रांच के उद्घाटन के साथ इस आदान-प्रदान की औपचारिकता से दोनों टीमों के बीच मित्रता और सहयोग के बंधन भी उदघाटित हुए।अंततः वक़्त मेहमानों को अलविदा कहने का था, 'एडइनबॉक्स' की कोलकाता टीम ने अतिथियों को विदा तो किया मगर इस भरोसे और प्रण के साथ कि यह नयी पहल भविष्य में संबंधों की प्रगाढ़ता और विकास के नए ठौर तक पहुंचेगी।  

मौजूदा वक़्त में तेज गति से बदलते रोज़गार बाज़ार में छात्रों को भी अपडेट रहना ज़रूरी है। कई बार कॉम्पीटीशन के कारण विश्वविद्यालय के डिग्री प्रोग्राम में दाखिला हासिल करना कठिन हो जाता है। लेकिन ऐसा नहीं कि इससे करियर ठहर जाता है। छात्र अलग अलग तरह के डिप्लोमा कोर्स करके भी करियर की रेस में न सिर्फ बने रह सकते हैं बल्कि उसे नई ऊंचाई तक भी ले जा सकते हैं। डिप्लोमा कोर्स उन लोगों के लिए एक बढ़िया विकल्प है, जो विश्वविद्यालय में प्रवेश के दबाव के बिना महत्वपूर्ण कौशल विकसित करना चाहते हैं। ये कोर्स व्यावहारिक कौशल पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो आपको पेशेवर रूप से आगे बढ़ने में मदद करते हैं।

यहाँ हम डिजाइनिंग से जुड़े डिप्लोमा कोर्स के बारे में आपको जानकारी दे रहे हैं जिसे आप अपनी 10वीं या 12वीं कक्षा पूरी करने के बाद कर सकते हैं। यह आपको व्यावहारिक अनुभव तो प्रदान करेंगे ही, आपके करियर लक्ष्यों की दिशा में एक अहम् पड़ाव भी साबित होंगे। इन डिप्लोमा कोर्स के बूते भी आप अपने भविष्य को सफलता की ओर मोड़ सकते हैं।  

1. ग्राफिक डिजाइनिंग
भारत में ग्राफिक डिजाइनिंग कोर्स कराने वाले कुछ शीर्ष कॉलेज नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन (NID) और पर्ल एकेडमी हैं। इस कोर्स से आप एडवरटाइजिंग, वेबसाइट्स और सोशल मीडिया के लिए क्रिएटिव डिजाइन बना सकते हैं। ग्राफिक डिजाइनिंग कोर्स पूरा करने के बाद कोई भी व्यक्ति ग्राफिक डिजाइनर, पिक्चर एडिटर, डिजाइन मैनेजर, शिक्षक या लेक्चरर के रूप में नौकरी पा सकता है। इसके अलावा, कोई व्यक्ति UX डिजाइनर, वेब डिजाइनर, एडिटोरियल डिजाइनर, आर्ट डायरेक्टर, एडवरटाइजिंग आर्ट डायरेक्टर और एनिमेशन डिजाइनर जैसे अन्य वैकल्पिक जॉब प्रोफाइल भी अपना सकता है । एक एंट्री लेवल ग्राफिक डिजाइनर का औसत वेतन 3.8 LPA है।

2. इंटीरियर डिजाइनिंग
इंटीरियर डिजाइन में डिप्लोमा करके आप घरों और ऑफिस स्पेस को आकर्षक और फंक्शनल बना सकते हैं। इंटीरियर डिजाइन यूजी कोर्स वे उम्मीदवार कर सकते हैं जिन्होंने किसी भी स्ट्रीम में कक्षा 12 या समकक्ष उत्तीर्ण किया हो। इंटीरियर डिजाइन के कुछ कोर्स जो स्नातक स्तर पर किए जा सकते हैं, वे हैं इंटीरियर डिजाइन में बीडीएस , इंटीरियर डिजाइन में बीएससी और इंटीरियर डिजाइन में बीए, स्नातक स्नातकोत्तर स्तर पर इंटीरियर डिजाइन पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन करने के पात्र हैं।इंटीरियर डिजाइन एक कोर्स नहीं है, बल्कि डिजाइन, कला और विज्ञान की डिग्री में दी जाने वाली विशेषज्ञता है। एक इंटीरियर डिजाइनर का औसत वेतन 1.2 LPA और 6.6 LPA के बीच होता है।

3. फैशन डिजाइनिंग
फैशन डिजाइनिंग में डिप्लोमा से आप अपनी खुद की फैशन लाइन शुरू कर सकते हैं या बड़े ब्रांड्स में काम कर सकते हैं। यह छात्रों को फैशन डिजाइन, मर्चेंडाइजिंग, मार्केटिंग और व्यापक स्तर पर फैशन के प्रति दृष्टिकोण रखने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे वैश्विक व्यापार के क्षेत्र  में एक नया रास्ता खुलता है। इसके पाठ्यक्रम कई स्तरों जैसे यूजी, पीजी, डॉक्टरेट, प्रमाणन और डिप्लोमा पर पेश किए जाते हैं। कुछ लोकप्रिय फैशन डिजाइन पाठ्यक्रमों में फैशन डिजाइन में बी.डेस, बैचलर ऑफ डिजाइन, फैशन डिजाइन में एम.डेस, फैशन प्रबंधन में एमबीए, फैशन में पीएचडी, क्रिएटिव फैशन स्टाइलिंग में सर्टिफिकेट, फैशन रिटेल मैनेजमेंट में सर्टिफिकेट, ऑनलाइन फैशन डिज़ाइन कोर्स और बहुत कुछ शामिल हैं। भारत में 770 से ज्यादा निजी कॉलेज हैं जो स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर फैशन डिजाइन पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। 

4. वेब डिजाइनिंग और डेवलपमेंट 
वेब डिजाइनिंग और डेवलपमेंट में करियर से आप वेबसाइट्स और ऐप्स के लिए क्रिएटिव और यूजर-फ्रेंडली डिजाइन बना सकते हैं। वेब डिजाइनिंग में डिप्लोमा एक 1 साल का कोर्स है जो विश्वविद्यालय पर निर्भर करता है, जहाँ उम्मीदवार वेबसाइट डिजाइन करने के विभिन्न पहलुओं के बारे में सीखते हैं। वेब डिजाइनिंग में डिप्लोमा के बाद शुरुआती वेतन लगभग 2 लाख से 8 लाख रुपये प्रति वर्ष है। जो उम्मीदवार वेब डेवलपर , वेब डिज़ाइनर , लेआउट एनालिस्ट, वेब मार्केटिंग एनालिस्ट, फ्रंट एंड वेब डेवलपर्स बनना चाहते हैं, वे ज्यादातर इस कोर्स को करते हैं।

5. मल्टीमीडिया डिजाइन
मल्टीमीडिया डिजाइन में आप क्रिएटिव वीडियोज, एनिमेशन, और डिजिटल कंटेंट बनाकर विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर काम कर सकते हैं। यह पाठ्यक्रम न्यूनतम 12 महीने की अवधि या अधिकतम 19 या 24 महीने के लिए पूर्णकालिक मोड में पेश किया जाता है। इस कोर्स को करने के लिए मान्यता प्राप्त बोर्ड से किसी भी स्ट्रीम (विज्ञान/वाणिज्य/कला) में 10+2 परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्र अधिकांश संस्थानों में प्रवेश पाने के पात्र हैं। कुछ संस्थानों के मामले में कुल मिलाकर 50% का न्यूनतम अंक मानदंड लागू हो सकता है।

 

यूपी मदरसा एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश के 24 हजार से  ज़्यादा मदरसों ने राहत की सांस ली होगी, वरना इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद तो उनके अस्तित्व पर संकट ही मंडराने लग गया था। यह संकट महज मदरसों पर नहीं बल्कि इनमें पढ़ने वाले 20 लाख से अधिक छात्रों और करीब 10 हजार शिक्षकों पर भी था। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह तय हो गया है कि उत्तर प्रदेश में मदरसे चलते रहेंगे। इस फैसले से महज उत्तर प्रदेश के मदरसों पर ही मंडरा रहे संकट के बादल नहीं छटे हैं बल्कि देश भर के मदरसों ने इससे राहत की सांस ली है। कारण, इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले के बाद उनके अस्तित्व को लेकर भी तमाम तरह की आशंकाएं पैदा हो गयी थीं, जिसमें कोर्ट ने यूपी मदरसा शिक्षा एक्ट 2004 को असंवैधानिक करार दे दिया था। इस फैसले के बाद बड़ी सोची-समझी रणनीति के तहत देशभर से मदरसों की जड़ें उखाड़ने के प्रयास शुरू हो गए थे। बाकायदा एक ऐसे आवरण के साथ कि इसके पीछे छिपी मंशा पर सवाल भी न उठ पाए। 

गौरतलब है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने एक पत्र लिखकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मदरसों को मिलने वाली सरकारी फ़ंडिंग बंद करने और मदरसा बोर्ड को बंद करने की सिफ़ारिश कर दी थी। उसने अपनी रिपोर्ट में मदरसों पर तमाम तरह की तोहमतें जड़ी थीं। कहा था कि मदरसों में बच्चों पर धार्मिक शिक्षा का दबाव डाला जाता है और उन्हें ज़रूरी शिक्षा नहीं मिल पाती। यह भी कि मदरसों में बच्चों को बेसिक शिक्षा नहीं मिलती और न ही मिड डे मील की सुविधा का लाभ होता है। ऐसे में बच्चों को मदरसों से निकालकर आरटीई अधिनियम, 2009 के मुताबिक स्कूलों में दाखिला कराया जाए। 

जाहिर है कि इरादा मदरसों पर ताला लगवाने का ही था मगर सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी उम्मीदों-आशंकाओं पर पर्दा डाल दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को गलत ठहरा दिया और मदरसा शिक्षा कानून को फिर से वैधानिकता दे दी। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ समेत तीन न्यायाधीशों की पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को गलत करार देते हुए स्पष्ट कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था देकर गलती की कि मूल ढांचे यानी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने के कारण उत्तर प्रदेश मदरसा कानून को खारिज करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कहा कि यह धर्मनिरपक्षेता के सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करता। 

बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने 22 मार्च के अपने फैसले में  सरकारी अनुदान पर मदरसा चलाने को धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ माना था। हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि राज्य सरकार सभी मदरसा छात्रों का दाखिला सामान्य स्कूलों में करवाए। उसने उस उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा कानून को असंवैधानिक माना था, जो 2004 में बना था। तब इस कानून का मकसद यह बताया गया था कि प्रदेश के सभी मदरसों का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा, उनमें आधुनिक शिक्षा दी जाएगी और एकरूपता लाई जाएगी। इसी के साथ इसमें मदरसा शिक्षा बोर्ड का भी प्रावधान था, जो सारे मदरसों का पाठ्यक्रम तय करने से लेकर वहां परीक्षाएं आयोजित करने का काम करेगा। इस कानून का एक मकसद यह भी बताया गया था कि इन मदरसों से जो छात्र निकलेंगे, वे देश की मुख्यधारा में शामिल होंगे और उनकी शिक्षा उन्हें विभिन्न रोजगारों में अवसर उपलब्ध कराएगी।

उत्तर प्रदेश में इस समय लगभग 25 हजार मदरसे हैं। इनमें से 16,500 मदरसे शिक्षा बोर्ड से पंजीकृत हैं, जबकि बाकी का पंजीकरण नहीं हुआ। पंजीकृत मदरसों को सरकारी मदद भी मिलती है। और वहां के शिक्षकों के वेतनमान भी तय हैं। बाद में जब इस कानून को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, तो अदालत ने इसे असांविधानिक घोषित कर दिया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह कानून धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने अब इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले को गलत ठहराया है और मदरसा शिक्षा कानून को फिर से वैधानिकता दे दी है। 

सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश की यह टिप्पणी महत्वपूर्ण है कि धर्मनिरपेक्षता का अर्थ होता है, जियो और जीने दो। उन्होंने कहा कि मदरसों का नियमन हो, यह हमारे राष्ट्रीय हित के लिए भी जरूरी है। अगर हम हाईकोर्ट के फैसले को ही लागू करें और अभिभावक अपने बच्चों को फिर भी इन्हीं मदरसों में भेजते रहे, तो हम उनके कूपमंडूक बनने का रास्ता तैयार कर देंगे। अदालत ने यह भी कहा कि मदरसों के छात्रों को अच्छी शिक्षा मिले, इसकी चिंता हमें भी है। पीठ के फैसले में यह भी गौर करने लायक है कि मदरसों में धार्मिक शिक्षा दिए जाने में कुछ भी गलत नहीं है। धर्मनिरपेक्षता के मायने समझने चाहिए। देश में एक ही धर्म के संस्थान नहीं चल रहे हैं। हर धर्म के अपने संस्थान हैं। देश में मोनस्ट्री, मिशनरी, गुरुकुल भी चलते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि वह सिर्फ धार्मिक शिक्षा देते हैं। ऐसे में मदरसों को क्यों निशाना बनाया गया है? ये सारी टिप्पणियां अदालत के फैसले को ही नहीं, बल्कि उसके पीछे की सोच और भावना को भी स्पष्ट करती हैं।

और यह सच भी है। मदरसे भले दीनी तालीम दे रहे हों मगर सरकार के आदेश के तहत चल रहे हैं। उनके सिलेबस को मदरसों में लागू किया जा रहा है। मदरसों से बच्चे अच्छी नौकरियों में भी आ रहे हैं। अगर उनमें कुछ कमियां नज़र आती हैं तो मदरसा बोर्ड और राज्य सरकार के पास शिक्षा का मानक निर्धारित करने के लिए पर्याप्त शक्तियां हैं। सरकार क्वालिटी एजुकेशन के लिए मदरसों को रेगुलेट कर सकती है। फिर धार्मिक शिक्षा और सुविधाओं की कमी की आड़ में इन्हें बंद करवाने की मंशा क्यों? ज़ाहिर है कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना वाली बात है इसमें। ऐसा करने वालों को लोकाचार को समझना चाहिए।  

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उस समय आया है, जब पूरे देश का माहौल सांप्रदायिक रूप से काफी संवेदनशील हो चुका है। माहौल जब खतरनाक ढंग से संवेदनशील बन चुका हो, तब जरूरत ऐसी ताकतों की होती है, जो सरल शब्दों में समझदारी की बातें बेखौफ होकर कहे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यही भूमिका निभाई है। उसने जो फैसला दिया है, वह कानून सम्मत और संविधान सम्मत तो है ही, साथ ही देश के माहौल को सुधारने और संवारने वाला भी है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला भले ही मदरसों की शिक्षा पर बने कानून को लेकर हो, लेकिन उसने जो कहा है, उसका असर इससे कहीं आग तक जाता है।

यहां यह ज़ेरेगौर है कि मदरसा एक्ट पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक मशहूर मुहावरा भी पढ़ा. यह मुहावरा था- Throw the baby out with the bathwater. असल में ये पूरा मुहवरा है- Don't throw the baby out with the bathwater. सामान्य शब्दों में इसका मतलब होता है कि कुछ बुरी, अनचाही चीजों को हटाते समय आपको अच्छी चीजें भी नहीं हटा देनी चाहिए। इसमें छिपे अर्थ को समझना चाहिए। 

कृत्रिम बुद्धिमता यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को लेकर लंबे समय से कहा जा रहा है कि यह आने वाले समय में कई क्षेत्रों में इंसानों की जरूरत को खत्म कर देगा। कई एक्सपर्ट इस बात को नकारते हैं और कई इसका समर्थन करते हैं। कुछ दिन पहले भारत दौरे पर आए एनवीडिया के सीईओ ने कहा था कि एआई से किसी की नौकरी नहीं जाएगी, बल्कि काम के तरीके बदल जाएंगे।

अब Google के CEO सुंदर पिचाई ने कहा है कि Google के नए कोड का 25 प्रतिशत से अधिक हिस्सा अब AI द्वारा तैयार किया जा रहा है यानी इन कोड को सॉफ्टवेयर इंजीनियर नहीं लिख रहे हैं। हां, यह जरूर है कि इन कोड का इंजीनियर ही रिव्यू करते हैं। पिचाई का यह बयान सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के क्षेत्र का एक भयावह सत्य है। साथ ही इससे ये सवाल भी पैदा हुए हैं कि क्या भविष्य में सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स की नौकरी ख़त्म हो जाएगी? क्या आने वाले दिनों में सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स की ज़रूरत नहीं होगी? 

अब Google के सभी नए कोड का 25 प्रतिशत से अधिक AI द्वारा तैयार किया जा रहा है, जिसे सिर्फ अंतिम समीक्षा के लिए इंजीनियरों द्वारा जांचा जाता है। यह एक परिवर्तनकारी बदलाव का संकेत है, जो AI की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। AI द्वारा तैयार किए गए कोड Google के सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की जिम्मेदारियों को नया रूप दे रहा है, जो अब AI द्वारा बनाए गए कार्य की समीक्षा और परिष्करण पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस बदलाव से इंजीनियर्स उच्च-स्तरीय समस्या समाधान और जटिल कार्यों पर अधिक ध्यान दे सकते हैं, बजाय इसके कि वे सामान्य कोडिंग कार्यों में समय व्यर्थ करें। इसका अर्थ है कि इंजीनियरों को AI से खतरा महसूस करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि AI कोडर्स को विकास के अधिक रणनीतिक और रचनात्मक पहलुओं में संलग्न होने में सक्षम बना सकता है।  

इससे यह तो स्पष्ट है कि भविष्य में सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स की ज़रूरत बनी रहेगी, लेकिन उनके काम का स्वरूप बदल सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन के बढ़ते उपयोग से कुछ रूटीन कार्य स्वचालित हो सकते हैं, लेकिन नए समाधान विकसित करने, जटिल समस्याओं को हल करने और तकनीकी नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए मानव इंजीनियर्स की आवश्यकता बनी रहेगी। इसके अलावा, नए तकनीकी क्षेत्रों जैसे डेटा साइंस, मशीन लर्निंग, और साइबर सुरक्षा में सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स की मांग बढ़ने की संभावना है। साथ ही, नई तकनीकों और क्षेत्रों के विकास के साथ नई नौकरी के अवसर भी उत्पन्न होंगे। इसलिए, सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स को नई कौशल सीखने और बदलती आवश्यकताओं के अनुसार अपने आप को ढालने की आवश्यकता होगी।

पिचाई की घोषणा एक ऐसे तकनीकी परिदृश्य की झलक देती है जहां AI मानव इंजीनियरों के प्रतिस्पर्धी के बजाय उनके सहयोगी के रूप में काम करता है। जैसे-जैसे AI कोड तैयार करता है और विकास में इंजीनियरों का समर्थन करता है, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग खुद को बदल रही है। यह बदलाव कोडिंग करियर का अंत नहीं बल्कि एक नए युग का संकेत देता है जहां AI इंजीनियरों को अधिक कुशलतापूर्वक नवीन समाधान देने में सहायता करता है, जिसमें मानव निगरानी गुणवत्ता और नैतिक मानकों को बनाए रखती है। 

गौरतलब है कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर कंप्यूटर विज्ञान के पेशेवर होते हैं जो सॉफ्टवेयर उत्पाद बनाने, वेब और मोबाइल एप्लिकेशन विकसित करने और नेटवर्क नियंत्रण प्रणाली चलाने के लिए इंजीनियरिंग सिद्धांतों और प्रोग्रामिंग भाषाओं का उपयोग करते हैं। जैसे-जैसे हम अपने दैनिक जीवन को चलाने के लिए स्मार्ट डिवाइस पर अधिक से अधिक निर्भर होते जा रहे हैं, सॉफ्टवेयर डेवलपर्स की संख्या में केवल वृद्धि ही होगी। यू.एस. ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स के अनुसार भी, 2031 तक नौकरी के अवसरों में 25 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है।

जबकि कोडिंग एक मुख्य कौशल है, सॉफ्टवेयर इंजीनियर कई भूमिकाएँ निभाते हैं! वे सॉफ्टवेयर अनुप्रयोगों को डिजाइन करने, विकसित करने, परीक्षण करने और बनाए रखने के लिए अपनी कोडिंग विशेषज्ञता का उपयोग करते हैं। इसमें कोड की लाइनें लिखने से परे के कार्य शामिल हैं। मसलन, समस्याओं की पहचान करना और उनका विश्लेषण करना, तत्पश्चात कोड के माध्यम से रचनात्मक समाधान तैयार करना। साथ ही सॉफ्टवेयर परियोजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए डिजाइनरों, परियोजना प्रबंधकों और अन्य इंजीनियरों के साथ प्रभावी ढंग से कार्य करना। इसके अलावा सॉफ्टवेयर की कार्यक्षमता सुनिश्चित करने और उत्पन्न होने वाली किसी भी त्रुटि को ठीक करने के लिए परीक्षण बनाना और चलाना एवं तकनीकी और गैर-तकनीकी दोनों दर्शकों को तकनीकी अवधारणाओं को स्पष्ट रूप से समझाना।

इसलिए, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग केवल कोडिंग से कहीं अधिक है; यह समस्याओं को हल करने और नवीन सॉफ्टवेयर समाधान बनाने के लिए तकनीकी विशेषज्ञता को लागू करने के बारे में है। यानी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का क्षेत्र बहुत व्यापक है। और ऐसे में एआई के बढ़ते इस्तेमाल से खतरा बहुत बड़ा नहीं दीखता। भविष्य में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी खत्म नहीं होगी, लेकिन इसका स्वरूप बदल सकता है। कुछ रूटीन और मैनुअल काम ऑटोमेशन से हो सकते हैं, लेकिन नए और जटिल प्रोजेक्ट्स की जरूरत हमेशा रहेगी।

गीक्सफॉरगीक्स। एक एडटेक प्लेटफॉर्म। कभी इसकी शुरुआत महज एक साधारण ब्लॉग के रूप में हुई थी लेकिन आज यह 1 करोड़ डॉलर यानी लगभग 84 करोड़ रुपये की कंपनी बन गई है। आज गीक्सफॉरगीक्स एक प्रमुख एडटेक प्लेटफॉर्म है और इसके संस्थापक संदीप जैन इस क्षेत्र की जानी-मानी शख्सियत। गीक्सफॉरगीक्स के दुनिया भर में दो करोड़ से ज्यादा रजिस्टर्ड यूजर्स हैं। नोएडा, बेंगलुरु और पुणे में इसके कार्यालय हैं। गीक्सफॉरगीक्स ने वर्ष 2023 में 1 करोड़ डॉलर का वार्षिक कारोबार दर्ज किया था। इसने गूगल, अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट जैसी तकनीकी दिग्गज कंपनियों के साथ समझौते किए हैं, ताकि छात्र इन कंपनियों में आसानी से नौकरी पा सकें। 

गीक्सफॉरगीक्स की अब तक की यह यात्रा आसान नहीं रही। तमाम दिक्कतें आईं, तमाम बाधाएं। लेकिन अपनी कड़ी मेहनत और लगन के दम पर एक ब्लॉग को व्यापक ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म में बदल कर पिछले 15 वर्षों में संदीप जैन ने इसे लगभग 84 करोड़ रुपये की कंपनी में तब्दील कर दिया। इसके लिए संदीप जैन ने अपने सफल कॅरिअर तक को छोड़ दिया। कड़ी मेहनत, दृढ संकल्प और अपनी सफलता में सबको शामिल करने की उनकी चाह ने उनके संगठन को लगभग 84 करोड़ रुपये का एडटेक प्लेटफॉर्म बना दिया। सामान्य परिवार से गीक्सफॉरगीक्स के संस्थापक बनने तक संदीप जैन की यात्रा शिक्षा के प्रति उनके परिश्रम और जुनून की एक प्रेरणादायक कहानी भी है। 

संदीप का जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद शहर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। संदीप बचपन से ही मेधावी छात्र रहे हैं। संदीप ने अपनी स्कूली शिक्षा नगर पालिका के स्कूल से की। गणित और विज्ञान में उनकी गहरी रुचि थी। इसी रुचि ने उन्हें डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय से बीटेक की डिग्री हासिल करने और उसके बाद आईआईटी रुड़की से एमटेक करने के लिए प्रेरित किया। बीटेक और एमटेक करने के बाद उन्होंने एक प्रमुख यूएस-बेस्ड सॉफ्टवेयर फर्म डीई शॉ में सॉफ्टवेयर डेवलपर के रूप में अपना पेशेवर कॅरिअर शुरू किया। यह फर्म दुनिया भर की सबसे प्रतिष्ठित वित्तीय फर्मों में से एक है। इंजीनियरिंग के छात्र इसमें नौकरी करने का ख्वाब देखते हैं, लेकिन इस सपने को हासिल करने के बाद भी संदीप को जीवन में कुछ अधूरापन महसूस हो रहा था। इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी। हालांकि एक अच्छी नौकरी व बेहतर कॅरिअर को छोड़कर दूसरे क्षेत्र में किस्मत आजमाने का फैसला संदीप के लिए आसान नहीं था। लेकिन सभी तक सुलभ शिक्षा की पहुंच बनाने के उनके जुनून ने उन्हें नए रास्ते तलाशने के लिए प्रेरित किया।

आईआईटी की सफलता की कहानियां हजारों में हैं। लेकिन, जहां इनमें से ज्‍यादातर मोटी तनख्वाह वाली कॉर्पोरेट नौकरी पाने के साथ खत्म होती हैं। वहीं, कुछ ऐसी भी हैं जो कॉर्पोरेट रास्ते पर न जाकर आंत्रप्रेन्‍योरशिप की तरफ बढ़ती हैं। ऐसा ही एक उदाहरण हैं संदीप जैन। संदीप जैन ने ब्लॉग से शुरू कर वर्ष 2009 में एडटेक प्लेटफॉर्म गीक्सफॉरगीक्स की स्थापना की थी। शुरुआत में उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन के दम पर जल्द ही इस ब्लॉग को व्यापक ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म में बदल दिया, जो आज लगभग 84 करोड़ रुपये की कंपनी बन गई है।

पढ़ाने का हुनर उनमें बचपन से ही था। जब वह स्कूल में थे, तब अपने बड़े भाई को पढ़ाते थे। समय के साथ, शिक्षण के प्रति उनका प्यार व जुनून और भी गहरा होता गया। 2010 में, संदीप जेआईआईटी, नोएडा में सहायक प्रोफेसर बन गए और छात्रों को पढ़ाने के साथ उनका मार्गदर्शन करने लगे। पढ़ाते समय, संदीप जैन ने महसूस किया कि लाखों छात्रों और पेशेवरों को विश्वसनीय और उच्च-गुणवत्ता वाले शिक्षण संसाधन खोजने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, खासकर साक्षात्कार की तैयारी और कोडिंग से जुड़ी समस्याओं के लिए। इसी दौरान उन्हें यह भी एहसास हुआ कि संसाधनों की कमी के चलते दुनिया भर में लाखों छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। पठन-पाठन में उनका मन तो रम गया था और आनंद भी आ रहा था, लेकिन उन्हें एक बात अभी भी सता रही थी। वो कहते हैं न आप सही मायने में तभी सफल होते हैं, जब आप दूसरों को सफल बनाने की कवायद करते हैं। इसी सोच के साथ संदीप जैन ने एक साधारण ब्लॉग लिखने के रूप में गीक्सफॉरगीक्स की शुरुआत की। यह ब्लॉग जटिल कंप्यूटर अवधारणाओं की समझ को आसान बनाने से जुड़ा था। उनका लक्ष्य अपने ज्ञान से ज्यादा से ज्यादा छात्रों को प्लेसमेंट दिलाने का था। शुरुआत में उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन के दम पर जल्द ही इस ब्लॉग को व्यापक ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म में बदल दिया, जो आज लगभग 84 करोड़ रुपये की कंपनी बन गई है। 

संदीप की दूरदर्शिता और समर्पण ने उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाए हैं। उन्हें भारत के सर्वाधिक प्रतिष्ठित शिक्षाविद पुरस्कार व शीर्ष एडटेक लीडर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

 

बॉलीवुड एक्ट्रेस परिणीति चोपड़ा अब यूट्यूब चैनल के जरिए अपनी निजी जिंदगी से लोगों को रूबरू कराएंगी। पूर्व घोषणा के अनुरूप परिणीति ने अपना यूट्यूब चैनल शुरू कर दिया है। उन्होंने पहले वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है कि हालांकि वो एक प्राइवेट पर्सन हैं फिर भी अब अपनी जिंदगी का हर पल शेयर करने को तैयार हैं। करीब 1 मिनट के इस वीडियो को उन्होंने कैप्शन दिया है- मेरा पहला यू ट्यूब वीडियो।

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक वीडियो जारी कर उन्होंने खुद इस बात की जानकारी दी थी कि वह अपना यूट्यूब चैनल शुरू करने जा रही हैं। परिणीति चोपड़ा ने अब अपना नया यूट्यूब चैनल शुरू कर दिया है। यानी फिल्मों में अभिनय का जलवा दिखाने के बाद परिणीति चोपड़ा अब लोगों से सीधे तौर पर जुड़ने के लिए तैयार हैं। जो कुछ उन्होंने कहा है उससे साफ है कि ये उनका डेली व्लॉग होगा।

जाहिर है कि अपने नए यूट्यूब चैनल के जरिए बॉलीवुड एक्ट्रेस परिणीति चोपड़ा अपने रोजमर्रा की झलक फैंस को दिखाएंगी। इसकी जानकारी देते हुए इससे पहले इंस्टाग्राम पर उन्होंने लिखा था, "इतने वर्षों में मैंने जानबूझकर अपने जीवन का लगभग केवल एक प्रतिशत हिस्सा ही सोशल मीडिया पर साझा किया है। मैं बहुत कुछ करती हूं, लेकिन हमेशा यह सब निजी रखना ही पसंद करती हूं।' 

अब परिणीति ने अपनी लाइफ को सोशल मीडिया पर दिखाने का फैसला किया है और इसकी शुरुआत भी उन्होंने कर दी है। उनका कहना है कि "कुछ भी न साझा करने के मेरे फैसले ने मेरी सोशल मीडिया टीम को गंभीर रूप से निराश किया है। अब उनके बहुत समझाने के बाद मुझे लगता है कि अब थोड़ा और खुलने का समय आ गया है।" अभिनेत्री ने कहा है कि अब आप मेरे आधिकारिक यूट्यूब चैनल परिणीति चोपड़ा को सब्सक्राइब कर सकते हैं, जहां मैं आपके साथ अपने जीवन से जुड़ी चीजें साझा करूंगी।

उन्होंने बताया है, 'अब मैं अपने जीवन में बहुत सारी चीजें करती हूं। मैं कुछ पागलपन भरे साहसिक काम करती हूं, मैं बहुत स्कूबा डाइविंग करती हूं, पढ़ती हूं और मैं हर समय गाती रहती हूं। मैं हर समय स्टूडियो में रहती हूं। आजकल मेरे जीवन में इतना कुछ हो रहा है कि मैंने सोचा कि अब समय आ गया है कि मैं अपने जीवन में जो कुछ भी करती हूं, वह सब अपने फैंस के साथ शेयर करूं, और मैं अब इसके लिए तैयार हूं।' एक्ट्रेस ने कहा कि उनका यह फैसला उनके फैन्स को उनके जीवन में होने वाली घटनाएं देखने का मौका देगा।

बहरहाल, वर्क फ्रंट की बात करें तो हाल ही में परिणीति चोपड़ा को फिल्म अमर सिंह चमकीला में देखा गया था। इस फिल्म में उनके साथ दिलजीत दोसांझ भी थे। इम्तियाज अली के निर्देशन में बनी यह फिल्म दर्शकों को खूब पसंद आई थी। साथ ही, परिणीति के किरदार को भी काफी ज्यादा सराहा गया था। अब देखना है कि उनकी रियल लाइफ से सोशल मीडिया पर उनके फैंस कितना जुड़ पाते हैं। 

 

हाल ही में नेशनल ज्योग्राफिक ने लद्दाख की सूरू घाटी को दुनिया के शीर्ष 25 पर्यटन स्थलों में नामित किया है। इसके मनमोहक परिदृश्य, सांस्कृतिक विरासत और शांत वातावरण दुनिया भर के रोमांच प्रेमियों और आध्यात्मिक साधकों को आकर्षित करते हैं। पर्यटन अधिकारियों ने इस मान्यता पर अपनी खुशी व्यक्त की है। शीर्ष 25 पर्यटन स्थलों में इस घाटी के चयन के पीछे इसकी आश्चर्यजनक हिमालयी सुंदरता, जीवंत सांस्कृतिक विरासत और साहसिक साधकों और आध्यात्मिक तीर्थयात्रियों के लिए एक स्वर्ग के रूप में उभरती स्थिति पर प्रकाश डाला गया है।

सूरू घाटी हिमालय के खूबसूरत दृश्यों के लिए जानी जाती है। यह सूरू मठ जैसे प्राचीन मठों और ऐतिहासिक स्थलों का घर है। प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत का अनूठा संयोजन इसे साहसिक यात्रा और आध्यात्मिक शांति की खोज में लगे यात्रियों के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है।

एक स्थानीय गाइड ने कहा, यह सम्मान हमारे लिए सूरू घाटी को न केवल एक यात्रा स्थल के रूप में, बल्कि शांति और आत्मचिंतन की तलाश करने वालों के लिए एक अभयारण्य के रूप में प्रदर्शित करने का एक शानदार अवसर है। हम आध्यात्मिक साधकों को घाटी की शांति और सुंदरता का अनुभव करने के लिए आमंत्रित करते हैं। पर्यटक सूरू घाटी के शांतिपूर्ण वातावरण में खो सकते हैं, जहां ध्यान के लिए प्राकृतिक सुंदरता के बीच अनगिनत अवसर उपलब्ध हैं।

स्थानीय निवासी और गाइड त्सेरिंग ल्हामो ने कहा, यहां का शांत वातावरण आध्यात्मिक विकास के लिए एक आदर्श पृष्ठभूमि प्रदान करता है। हम आशा करते हैं कि अधिक से अधिक पर्यटक इस जादुई स्थान का अनुभव करने आएं।

सूरू घाटी में वार्षिक सुरू आउटडोर उत्सव एक महत्वपूर्ण आयोजन है, जो हर अगस्त और सितंबर में होता  है। यह उत्सव 500 से अधिक अद्वितीय बोल्डर चुनौतियों का सामना करने के लिए दुनिया भर के पर्वतारोहियों को आकर्षित करता है। प्रतिभागी अपनी सुबह की शुरुआत योग सत्र से कर सकते हैं, दिन में रोमांचकारी चढ़ाई का आनंद ले सकते हैं और रात में जगमगाते आसमान के नीचे लाइव संगीत के साथ आराम कर सकते हैं। यह उत्सव घाटी की एक साहसिक केंद्र के रूप में बढ़ती प्रतिष्ठा को दर्शाता है, जो दुनिया की सबसे लुभावनी जगहों में से एक में एड्रेनालाईन और सौहार्द की तलाश करने वालों के लिए एकदम उपयुक्त है।

सूरू घाटी के प्रति बढ़ती दिलचस्पी के साथ यह 2025 में यात्रियों और आध्यात्मिक तीर्थयात्रियों के लिए एक प्रमुख स्थल बनने का वादा करती है, जो रोमांच, संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक संतुलित मिश्रण प्रदान करती है।

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग कारगिल ने भी एक्स पर एक पोस्ट में इस उपलब्धि का जश्न मनाते हुए बताया कि सूरू घाटी को नेशनल ज्योग्राफिक ने 2025 के शीर्ष 25 यात्रा स्थलों में सूचीबद्ध किया गया है।

 

 

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एडइनबॉक्स: शैक्षिक समाचारों का भरोसेमंद स्रोत

एडइनबॉक्स शिक्षा जगत की खबरों की व्यापक कवरेज को समर्पित एक अग्रणी मंच है। यह आपके लिए एक जरूरी साधन है, जो आपके लक्ष्यों के संधान में आपकी मदद करता है क्योंकि यहां आपके लिए है:

विविधतापूर्ण सामग्री: एडइनबॉक्स दुनियाभर से शिक्षा के तमाम पहलुओं का समावेश करते हुए लेख, साक्षात्कार, वीडियो और पॉडकास्ट सहित विविध प्रकार की सामग्री उपलब्ध कराता है। चाहे आपकी रुचि के विषयों में के-12 शिक्षा, उच्च शिक्षा, एडटेक, या शैक्षिक नीतियां शामिल हों, एडइनबॉक्स पर आपको इससे संबंधित प्रासंगिक और महत्वपूर्ण सामग्री मिलेगी।

समय पर अपडेट: शिक्षा तेज गति से विकास कर रहा क्षेत्र है, जहां की नवीनतम गतिविधियों से अपडेट रहना हर किसी के लिए जरूरी है। और, एडइनबॉक्स वह मंच है जो शिक्षा जगत की हर नवीन जानकारियों को समय पर आप तक पहुंचाकर आपको अपडेट करता है। यह सुनिश्चित करता है कि आप इस क्षेत्र की हर गतिविधि को लेकर जागरूक रहें। चाहे वह ब्रेकिंग न्यूज हो या इसका गहन विश्लेषण, आप खुद को अपडेट रखने के लिए एडइनबॉक्स पर भरोसा कर सकते हैं।

विशेषज्ञ अंतदृष्टि: एडइनबॉक्स का संबंध शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों और विचारवान प्रणेताओं से है। ख्यात शिक्षकों और शोधकर्ताओं से लेकर नीति निर्माताओं और उद्योग के पेशेवरों तक, आप इस मंच पर मूल्यवान अंतदृष्टि और दृष्टिकोण से परिचित होंगे जो आपको न सिर्फ जागरूक करता है बल्कि आपके निर्णय लेने की प्रक्रिया को भी धारदार बनाता है।

इंटरएक्टिव समुदाय: एडइनबॉक्स पर आप शिक्षकों, प्रशासकों, छात्रों और अभिभावकों के एक सक्रिय व जीवंत समूह के साथ जुड़ सकते हैं। इस मंच पर आप अपने विचार साझा करें, प्रश्न पूछें, और उन विषयों पर चर्चा में भाग लें जो आपके लिए महत्वपूर्ण हैं। समान विचारधारा वाले व्यक्तियों से जुड़ें और अपने पेशेवर नेटवर्क का भी विस्तार करें।

यूजर्स के अनुकूल इंटरफेस: एडइनबॉक्स की खासियत है, यूजर्स के अनुकूल इंटरफेस। यह आपकी रुचि की सामग्री को नेविगेट करना और खोजना आसान बनाता है। चाहे आप लेख पढ़ना, वीडियो देखना या पॉडकास्ट सुनना पसंद करते हों, आप एडइनबॉक्स पर सब कुछ मूल रूप से एक्सेस कर सकते हैं।

तेजी से बदलते शैक्षिक परिदृश्य में, इस क्षेत्र की हर गतिविधि से परिचित होना निहायत जरूरी है। एडइनबॉक्स एक व्यापक मंच प्रदान करता है जहां आप शिक्षा जगत के नवीनतम समाचारों तक अपनी पहुंच बना सकते हैं, विशेषज्ञों और समूहों के साथ जुड़ सकते हैं और शिक्षा के भविष्य को आकार देने वाली नई पहल को लेकर अपडेट रह सकते हैं। चाहे आप एक शिक्षक हों जो नवीन शिक्षण पद्धतियों की तलाश में हों, नीतियों में बदलाव पर नजर रखने वाले व्यवस्थापक हों, या आपके बच्चों की शिक्षा को लेकर चिंतित माता-पिता, एडइनबॉक्स ने हर किसी की चिंताओं-आवश्यकताओं को समझते हुए इस मंच को तैयार किया है। आज ही एडिनबॉक्स पर जाएं और शिक्षा पर एक वैश्विक विमर्श में शामिल हों!

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